2,4-डाइक्लोरोटोलुइन: कृषि रसायन अनुप्रयोगों में स्थिरता और प्रतिस्थापन क्षमता
2025-03-10
2,4-डाइक्लोरोटोल्यून शाकनाशी, कीटनाशक और ज्वाला मंदक के उत्पादन में एक प्रमुख मध्यवर्ती है, जहाँ तापीय स्थिरता और क्लोरीन स्थिति चयनात्मकता महत्वपूर्ण हैं। पारंपरिक बैच क्लोरीनीकरण अक्सर अधिक क्लोरीनीकरण और उच्च VOC उत्सर्जन का परिणाम होता है।
हमारी सतत निम्न-तापमान प्रक्रिया सटीक रूप से नियंत्रित क्लोरीन प्रवाह के तहत 60–80 °C पर संचालित होती है, जो > 98% क्लोरीन उपयोग और 99.7% शुद्धता प्राप्त करती है। मल्टी-स्टेज कंडेनसर और क्षारीय गैस स्क्रबर हाइड्रोजन क्लोराइड और अप्रतिक्रियाशील क्लोरीन को पकड़ते हैं, जिससे VOC उत्सर्जन 80% तक कम हो जाता है। परिणामी उत्पाद का रंग सूचकांक है< 15 APHA और पानी की मात्रा ≤ 0.03%।
अपनी रासायनिक निष्क्रियता और ऑक्सीडेटिव स्थिरता के कारण, 2,4-डाइक्लोरोटोल्यून क्लोरीनीकरण और नाइट्रेशन उत्प्रेरक की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ संगत है, जो इसे पुराने टोल्यून-आधारित मार्गों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प बनाता है। यह विशेष रूप से भारत, वियतनाम और ब्राजील में कम अवशिष्ट क्लोरीन स्तर वाले चयनात्मक शाकनाशी मध्यवर्ती के उत्पादन के लिए पसंद किया जाता है।
हमारी पर्यावरण अनुकूलित प्रक्रिया यूरोपीय संघ EHS मानकों और EPA दिशानिर्देशों का अनुपालन करती है, जो निर्माताओं को उत्पाद की गुणवत्ता से समझौता किए बिना परिचालन सुरक्षा और लागत दक्षता दोनों प्रदान करती है।